गुरुवार, 18 नवंबर 2010

भगवान श्री शंकरजी का अर्धनारीश्वर रूप

                                                                         ॐ शक्ति सहिताय श्री महागणेशाय नमः






किसी भी मनुष्य का दाहिना अंग पुरुष प्रधान और बाया अंग स्त्री प्रधान है ।स्त्रियॉं मे स्त्री के बाए अंग ही शरीर पर सर्वाधिक प्रभाव दिखाते और पुरुषो मे दाए अंग  हैं,  यही दिखाया गया है भगवान शंकरजी के अर्धनारीश्वर रूप मे और यही कारण होता है ,यही कारण होता की ज्ञानी पंडित स्त्रियो के बाए हाथ की कलाई और पुरुषो की दायी कलाई मे किसी भी यज्ञ या अनुष्ठान का अभिमंत्रित धागा बांधते हैं । कई इसको गलत मानते हैं और कहते हैं की-क्यों भाई क्यों बांधे बाए हाथ मे वो तो अशुद्द है ? परंतु वो असली बात को जानते ही नही ,न ही समझने की कोशिश करते हैं ( मुझे उनके द्वारा अपने पूर्वजो के अनुभव ज्ञान पर आधारित स्मृतीयो की उपेक्षा करने का बहुत दुख होता है ) । 

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